Jain dharm gk in hindi pdf || जैन धर्म के प्रश्न PDF

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दोस्तो आज की हमारी में हम आपको जैन धर्म से संबंधित महत्वपूर्ण परीक्षापयोगी तथ्य बताने जा रहे हैं , जिनके कि आने बाले सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में पूंछे जाने की पूरी पूरी संभावना है ! तो आप सभी से निवेदन है कि इसे अच्छे से पढिये और याद कर लीजिये |

👉 इस धर्म के संस्थापक ऋषभदेव थे। जैन धर्म के प्रवर्तक को तीर्थकर कहा जाता है। ऋषभदेव पहले तीर्थकर थे ।

👉 तीर्थकर का अर्थ होता है, दुःख से परे संसार रूप सागर को पार कराने वाला ।

👉 जैन धर्म के 23 वें तीर्थकर पारर्शनाथ थे इन्हें झारखण्ड केसम्मेद शिखर पर ज्ञान की प्राप्ती हुई, जिस कारण सम्मेद शिखर का नाम पारसनाथ की चोटी हो गया । ज्ञान प्राप्ती के बाद इन्होंने चतुरायण धर्म दिया जो निम्नलिखित है

(i) झूठ न बोलना 

(ii) धन संग्रह न करना 

(iii) चोरी न करना

(iv) हिंसा न करना


👉 जैन धर्म के 24 वें तिर्थकर एवं अंतिम तिर्थकर महावीर स्वामी हैं। इन्हें जैन धर्म का वास्तविक संस्थापक कहते हैं ।

👉 इनके पिता सिद्धार्थ थे, जो ज्ञातृक कुल के राजा थे। इनकी माता त्रिशला थी। जो लिच्छिवी नरेश चेटक की बहन थी । इनके बड़े भाई नंदीवर्मन थे । इनका जन्म 640 ई.पू. वैशाली के कुंडग्राम में हुआ था | इनकी पत्नि यशोदा थी । इनकी बेटी प्रियदर्शनी (अन्नोज्या) थी। दामाद जमालि था। 30 वर्ष की आयु में गृह त्याग दिए। 12 वर्ष के कठोर तपस्या के बाद जाम्भिक ग्राम में एक साल वृक्ष के नीचे ऋजुपालका नदी के तट पर इन्हें ज्ञान की प्राप्ती हुई । ज्ञान प्राप्ती को 'कैवल्य" कहते हैं । ज्ञान प्राप्ती के बाद इन्हें कैवलीन, जीन या निग्रोथ कहा गया। जीन का अर्थ होता है, विजेता जबकि निग्रोथ का अर्थ होता है, बंधन से मुक्त


Jain dharm gk in hindi pdf


👉 इन्होंने पहला उपदेश राजगीर में दिया था। जबकि अंतिम उपदेश पावापुरी में दिया । ज्ञान प्राप्ती के बाद इन्होंने पंचायन धर्म दिया जो निम्नलिखित हैं |

(i) झूठ नहीं बोलना 

(ii) धन संग्रह नहीं करना (अपरिक्षेय) 

(iii) चोरी नहीं करना ( उस्तेव)

(iv) हिंसा नहीं करना 

(v) ब्रह्मचर्य (विवाह नहीं करना 


👉 महावीर स्वामी ने त्रिरत्न दिए जो निम्नलिखित हैं

 (i) सम्यक ज्ञान 

(iii) सम्यक आचरण 

 (ii) सम्यक विश्वास


👉 महावीर स्वामी ने ईश्वर के अस्तित्व को नहीं माना जिस कारण वे मूर्तिपूजा और कर्मकांड का विरोध किए । इन्होंने पुनर्जन्म को माना और पुनर्जन्म का सबसे बड़ा कारण आत्मा को बताया । आत्मा को सताने के लिए इन्होंने कहा कि मोक्ष प्राप्ती के बाद पुनर्जन्म से मुक्ति मिल जाएगी।


👉 महावीर स्वामी ने अंहिसा पर सर्वाधिक बल दिया, जिस कारण उन्होंने कृषि तथा युद्ध पर प्रतिबंध लगा दिए । महावीर स्वामी के दिए गए उपदेशों को चौदह पूर्व नामक पुस्तक में रखा गया जो जैन धर्म की सबसे प्राचीन पुस्तक है।


👉 महावीर स्वामी ने अपेन उपदेश प्राकृत भाषा में दिए । 468 ई. पू. पावापुरी में इनकी मृत्यु हो गई ।


👉 भद्रबाहु तथा स्थूलबाहु इनके दो सबसे प्रिय अनुयायी थे। मौर्य काल में मगध पर 12 वर्षीय भीषण अकाल पड़ा जिस कारण भद्रबाहु अपने अनुयायियों के साथ दक्षिण भारत में कर्नाटक चले गए। इन्हीं के साथ चन्द्रगुप्त मौर्य आया था । जिसने कर्नाटक के श्रवण बेलगोला में संलेखना से प्राण त्याग दिये । इस भीषण अकाल में भी स्थूलबाहु तथा उसके अनुयायी मगध में ही रूके रहे। जब अकाल खत्म हो गया तो भद्रबाहु मगध लौट आया। किन्तु इन दोनों में विवाद हो गया।


👉 भद्रबाहु के नेतृत्व वाले लोग निर्वस्त्र रहते थे, जिन्हें दिगम्बर कहा गया। जबकि स्थुलाबाहु के नेतृत्व वलो लोग श्वेत वस्त्र पहनते थे । जिसे श्वेताम्बर कहा गया ।


👉 जैन धर्म के विस्तृत प्रचार के लिए 2 जैन संगितीयाँ हुई हैं।


👉 पहली जैन संगिती 300 ई.पू. पाटलीपुत्र में हुई जिसकी अध्यक्षता स्थूलबाहु ने किया। उसी में भद्रबाहु ने 12 अंग नामक पुस्तक की रचना की । द्वितीय जैन संगिती- यह छठी शताब्दी में गुजरात के वल्लभी में हुई । उसकी अध्यक्षता देवाधिश्रमण ने किया। उसी संगिती में 12 उपांग की रचना की गई ।


Jain dharm gk in hindi pdf 

  • महावीर स्‍वामी का जन्‍म कहाँ हुआ था – कुण्‍डग्राम में
  • महावीर स्‍वामी का जन्‍म किस क्षेत्रीय गोत्र में हुआ था – जांत्रिक
  • महावीर की माता कौन थी – त्रिशला
  • महावीर का मूल नाम था – वर्धमान
  • महावीर की मृत्‍यु कहाँ हुई थी – पावापुरी
  • जैनियों के पहले तीर्थंकर कौन थे – ऋषभदेव
  • जैन परम्‍परा के अनुसार जैन धर्म में कुल कितने तीर्थंकर हुए – 24
  • जैन परम्‍परा के अनुसार महावीर कौन-से तीर्थंकर थे – चौबीसवें
  • जैन दर्शन के अनुसार सृष्टि की रचना एवं पालन-पोषण – सार्वभौमिक सत्‍य से हुआ है
  • जैन समुदाय में प्रथम विभाजन के श्‍वेताम्‍बर सम्‍प्रदाय के संस्‍थापक थे – स्‍थूलभद्र
  • जैन तीर्थंकर पार्श्‍वनाथ द्वारा प्रतिपादित चार महाव्रतों में महावीर स्‍वामी ने पाँचवे महाव्रत के रूप में क्‍या जोड़ा – ब्रह्म्‍चर्य
  • भगवान महावीर का प्रथम शिष्‍य कौन था – जमालि
  • त्रिरत्‍न सिद्धान्‍त – सम्‍यक् धारणा, समयक चरित्र, सम्‍यक ज्ञान- जिस धर्म की महिमा है, वह है – जैन धर्म
  • दिलवाड़ा के जैन मन्दिरों का निर्माण किसने करवाया था – चौलुक्‍यों/सोलंकियों ने
  • बौद्ध धर्म से संबधित महत्वपूर्ण प्रश्न
  • स्‍यादवाद सिद्धान्‍त है – जैन धर्म का
  • कौन सबसे पूर्वकालिक जैन ग्रन्‍थ कहलाता है – चौदह पूर्व
  • जैन साहित्‍य को कहा जाता है – आगम
  • जैन ग्रन्‍थ ‘कल्‍प सूत्र’ के’ रचियता है – भद्रबाहु
  • अनेकांतवाद किसका क्रोड़ (केन्‍द्रीय) सिद्धान्‍त एवं दर्शन है – जैन मंत
  • महान् धार्मिक घटना ‘महामस्‍तकाभिषेक’ किससे सम्‍बन्धित है और किसके लिए की जाती है – बाहुबली
  • प्रथम जैन महासभा का आयोजन कहाँ हुआ था – पाटलिपुत्र
  • द्वितीय जैन महासभा का आयोजन कहाँ हुआ था – वल्‍लभी
  • जैन साहित्‍य का संकलन किस भाषा व लिपि में है – प्राकृत व अर्धमागधी
  • कौन बुद्ध के जीवन काल में ही संघ प्रमुख होना चाहता था – देवदत्‍त
  • हेलियोडोरस का बेसनगर अभिलेख संदर्भित है – केवल वासुदेव से
  • आजीवक सम्‍प्रदाय के संस्‍थापक कौन थे – मक्‍खलि गोसाल
  • भागवत सम्‍प्रदाय के विकास में किसका योगदान अत्‍यधिक था – हिन्‍द-यूनानी
  • वासुदेव कृष्‍ण की पूजा सर्वप्रथम किसने प्रारम्‍भ की – सात्‍वतों ने
  • प्राचीनतम विश्‍वविद्यालय कौन-सा था – नालंदा
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